जिनके आशीष से मुस्कराता हूँ मै
ख्वाब जीवन के सारे सजाता हूँ मैं
बाद में सारे रिस्ते भी स्वीकार हैं
पहले माँ-बाप दिल में बिठाता हूँ मैं
ख्वाब जीवन के सारे सजाता हूँ मैं
बाद में सारे रिस्ते भी स्वीकार हैं
पहले माँ-बाप दिल में बिठाता हूँ मैं
दुर्गेश अवस्थी "आँचल"
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